yah line kisi ne bahut pyar se likha hai
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था.- क़तील शिफ़ाई
मूड हो जैसा वैसा मंज़र होता है मौसम तो इंसान के अंदर होता है
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है”
-निदा फ़ाज़ली
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है”
-निदा फ़ाज़ली
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है”
-निदा फ़ाज़ली
“दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी बनाने आई
फिर ये बारिश मिरी तंहाई चुराने आई”
-कैफ़ भोपाली
“कोई कमरे में आग तापता हो
कोई बारिश में भीगता रह जाए”
-तहज़ीब हाफ़ी
“आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आंखों को
ये बरखा बरसाते दिन तो बिन प्रीतम बे-कार गए”
-हबीब जालिब
“याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था”
-नासिर काज़मी
“अजब पुर-लुत्फ़ मंज़र देखता रहता हूं बारिश में
बदन जलता है और मैं भीगता रहता हूं बारिश में”
-ख़ालिद मोईन
“टूट पड़ती थीं घटाएं जिन की आंखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के
धूप ने गुज़ारिश की
एक बूंद बारिश की”
-मोहम्मद अल्वी
“भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूंदों में बसा करता है”
-मरग़ूब अली
“दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़”
-शबाब ललित
“गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूंदें
कोई बदली तिरी पाज़ेब से टकराई है”
-क़तील शिफ़ाई
“आने वाली बरखा देखें क्या दिखलाए आंखों को
ये बरखा बरसाते दिन तो बिन प्रीतम बे-कार गए”
-हबीब जालिब
“ओस से प्यास कहां बुझती है
मूसला-धार बरस मेरी जान”
-राजेन्द्र मनचंदा बानी
“उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई”
-जमाल एहसानी
“फ़ुर्क़त-ए-यार में इंसान हूं मैं या कि सहाब
हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे”
-इमाम बख़्श नासिख़
“बरस रही थी बारिश बाहर
और वो भीग रहा था मुझ में”
-नज़ीर क़ैसर
“बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी”
-हसरत मोहानी
“और बाज़ार से क्या ले जाऊं
पहली बारिश का मज़ा ले जाऊं”
-मोहम्मद अल्वी